काठमांडू । विदेश सचिव विनय क्वात्रा की 13 और 14 फरवरी को नेपाल की यात्रा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में मजबूती आई है। क्योंकि हाल ही में संपन्न चुनावों के बाद नेपाल में नई राजनीतिक व्यवस्था का नेतृत्व पुष्प कमल दहल प्रचंड कर रहे हैं। यह यात्रा नेपाल के निमंत्रण पर आयोजित की गई थी और इसे प्रचंड की भारत यात्रा के अग्रदूत के रूप में देखा जाता है, जिन्होंने पहले ही पुष्टि कर दी है कि वह अगले माह भारत की यात्रा करेंगे। पुष्पकमल दहल कूटनीतिक रूप से चीन के अधिक निकट माने जाते रहे हैं, लेकिन हाल के दिनों में उनका भारत के प्रति दृष्टिकोंण बदला है।
प्रचंड जब पहली बार सत्ता में आए थे, तब उन्होंने पारंपरिक प्रथा से विराम लेते हुए भारत के बजाय चीन की अपनी पहली यात्रा करने का विकल्प चुना था। इस बार प्रचंड ने अपनी पहली भारत यात्रा का जिक्र कर दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का संदेश साफ कर दिया है। भारत पहले से ही कई विकासात्मक परियोजनाओं पर नेपाल के साथ सहयोग कर रहा है। दो पड़ोसी देशों के विभिन्न स्थलों को जोड़ने वाले रामायण सर्किट के निर्माण की परियोजना शुरू की जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपनी पिछली यात्रा के दौरान एक भारतीय मठ की आधारशिला रखना एक महत्वपूर्ण घटना थी। बुनियादी ढांचा और अन्य सहयोग भी इनमें शामिल हैं। नेपाल ने भारत को लचर पश्चिम सेती जलविद्युत परियोजना को लेने की पेशकश की। शिक्षा के क्षेत्र में आईआईटी मद्रास और काठमांडू विश्वविद्यालय एक संयुक्त डिग्री कार्यक्रम की पेशकश करने के लिए सहयोग कर रहे हैं, जबकि भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) और लुम्बिनी बौद्ध विश्वविद्यालय ने बौद्ध अध्ययन के लिए एक डॉ अंबेडकर चेयर स्थापित करने का निर्णय लिया है।
भारत और नेपाल मजबूत धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक संबंध साझा करते हैं जो सदियों पुराने हैं। दोनों देश न केवल खुली सीमाओं को साझा करते हैं, बल्कि दोनों देशों के लोगों के बीच हमेशा निर्बाध आवाजाही होती रही है, जिन्होंने विवाह और पारिवारिक बंधनों के माध्यम से संबंध बनाए हैं। नेपाल में भारत की भागीदारी वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत और पड़ोसी पहले की नीति पर आधारित है। इस संबंध में, भारत का मुख्य ध्यान बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सहायता और अनुदान के माध्यम से नेपाल के विकास को बढ़ावा देना, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और मानव विकास संकेतकों में सुधार करना और 2015 के भूकंप जैसी विपत्तियों के दौरान नेपाल का समर्थन करना रहा है।