हिंदू धर्म में और हमारी संस्कृति में पूर्णिमा का बहुत महत्व है। वैसे तो हर महीने में पूर्णिमा आती है और पूरे साल में 12 पूर्णिमा तिथियां होती हैं, जिनका अलग ही महत्व होता है। इन सभी पूर्णिमा तिथियों में माघ मास की पूर्णिमा धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन देवलोक से देवतागण पृथ्वी पर आते हैं। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। लोग माघी पूर्णिमा पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम स्थल प्रयाग में पवित्र स्नान, भिक्षा, गाय और होम दान जैसे कुछ अनुष्ठान करते हैं।

इस बार माघ माह की पूर्णिमा 16 फरवरी, बुधवार के दिन पड़ रही है। पूर्णिमा तिथि 16 फरवरी सुबह 9 बजकर 42 मिनट से शुरू होकर 16 फरवरी रात 10 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन आश्लेषा नक्षत्र और चंद्रमा कर्क राशि में विराजमान रहेगा।इस दिन शोभन योग का निर्माण हो रहा है। इसे शुभ योग माना गया है।

साधक प्रातः काल गंगा समेत पवित्र नदियों और सरोवरों में स्नान कर तिलांजलि करते हैं। साथ ही इस दिन जलधारा में तिल प्रवाहित किए जाते हैं। पूर्णिमा की रात चंद्रमा भी अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है। इस दिन उपवास रखने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति में सुधार होता है तथा मानसिक तनाव एवं उथल-पुथल की स्थिति से छुटकारा प्राप्त होता है।

 

माघ पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए।
स्नान करते समय 'ॐ नम: भगवते वासुदेवाय नम:' का जाप करें।
सूर्यदेव को जल में तिल मिलाकर अघ्य दें या तर्पण करें।
माघ पूर्णिमा पर भगवान श्री विष्णु का पूजन करते समय केले के पत्ते, सुपारी, पान, शहद, तिल, केले, पंचामृत, मौली, रोली, कुमकुम आदि का उपयोग करें।
इस दिन भगवान शिव जी का पूजन करना भी लाभदायक माना गया है, इससे परिवार को आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है।
इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान कृष्ण का एक साथ पूजन करना चाहिए।
पूजा के उपरांत आरती तथा प्रार्थना करके गरीबों और और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा अवश्य दें।