जबलपुर। रंगों का मदमस्त रंग रंगीन त्यौहार होली शुक्रवार १८ मार्च को धुरेड़ी के दिन रंग अबीर के साथ परंपरागत तरीके से मनाया जाएगा। गिले शिकवे भूलकर लोग आज एक दूसरे से गले मिलेंगे और रंगों से सराबोर होंगे। पिछले कुछ वर्षों से होली का यह मदमस्त त्यौहार अराजक तत्वों ने उत्पात मचाकर बदरंग बनाने की कोशिशें कीं जिससे यह त्यौहार धीरे-धीरे परंपरागत से हटकर औपचारिक होकर रह गया है। अब नन्हे-मुन्ने बच्चे ही उत्साह और उमंग के साथ रंग गुलाल उड़ाते हैं। लेकिन होली का त्यौहार परीक्षाओं के वक्त होने की वजह से हाईस्वूâल और कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थी इस त्यौहार को दिल खोलकर नही मना पाते। पुलिस ने कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये गुरुवार को ही थाना संभाग स्तर पर फ्लैग मार्च निकाले, ताकि गुंंडे, बदमाशों में भय रहे और आम नागरिकों में सुरक्षा की भावना बनी रहे। होली की हुड़दंग करने की परंपरा पुरानी रही है, लेकिन इस हुड़दंग में आत्मीयता, अपनापन और सद्भावना नहीं रह गई। संस्कारों के इन रंगों में लुच्चे, लपंâगों ने राग द्वेष घोल कर होली के रंगों से लोगों के दिमाग पर भय और वुंâठा के भाव घोल दिये हैं। यही वजह है, कि अब होली के इस मदमस्त त्यौहार पर संभ्रात परिवारों के लोग घरों से नहीं निकलने। कालोनियों में जरूर लोग टोलियां बनाकर शांत वातावरण में मौज मस्ती के साथ रंगों का त्यौहार मना लाते हैं। अब गली-मोहल्ले में होलिका का दहन और रंगों की बौछार लुच्छे-लपंâगे के हाथ में आ गई है, वे होली के नाम पर चंदा करते हैं। घास पूंâस जलाकर बाकी पैसा नशाखोरी में उड़ाते हैं और इसी नशाखोरी में सद्भावनापूर्ण माहौल बिगड़ता है, जिससे लोग कतराने लगे हैं।