भोपाल । मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का बहुचर्चित रियल एस्टेट कारोबारी आकृति बिल्डर अब दिवालिया नहीं रहा। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट टर्मिनल दिल्ली ने एक बड़ा फैसला दिया है। इस फैसले में आकृति बिल्डर को दिवालिया नहीं माना गया है। नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल इंदौर ट्रिब्यूनल के फैसले को पलट दिया है।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 9 लोकेशन पर आकृति के प्रोजेक्ट चल रहे थे। जिसमें लगभग 3000 लोगों ने निवेश किया हुआ था। वर्तमान स्थिति में अब रेरा और हाउसिंग बोर्ड मिलकर पूरी प्रॉपर्टी का मूल्यांकन करेंगे। अधूरे प्रोजेक्ट को हाउसिंग बोर्ड पूरा करेगा।
लेनदारी और देनदारी का पूरा काम हाउसिंग बोर्ड और रेरा मिलकर करेंगे। एनसीएलटी का जो फैसला आया है। यह बिल्डरों के लिए एक सबक भी होगा।
-1100 करोड़ की देनदारी
आकृति के 9 अलग-अलग प्रोजेक्ट में करीब 3000 लोगों के 1100 करोड रुपए से अधिक रुपयों का निवेश है। आकृति समूह द्वारा दिवालिया होने के बाद लोगों ने अपना क्लेम करना शुरू किया था। रेरा और एक्रोसिटी कंज्यूमर वेलफेयर सोसाइटी ने एनसीएलटी में अपील कर दी थी। जिस पर स्टे हो गया था। अब फाइनल आदेश भी हो गया है।
-जल्द करेंगे वैल्यूएशन 
रेरा और हाउसिंग बोर्ड मिलकर आकृति बिल्डर के सभी 9 लोकेसन के प्रोजेक्ट का मूल्यांकन का काम करेंगे। जो प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हैं। वह किस तरह से पूरे होंगे।इसका खाका तैयार करेंगे। आकृति के प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कितनी राशि की आवश्यकता होगी। जिन्होंने प्रॉपर्टी की बुकिंग की थी। उनसे कितना पैसा आना है। इस सब का हिसाब किताब करने के बाद प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया जाएगा।
-बार्टर एग्रीमेंट सही नहीं
आकृति बिल्डर ने विज्ञापन भुगतान के लिए जो प्रॉपर्टी, अखबार मालिकों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को दी गई थी। ट्रिब्यूनल ने इसे अवैध माना है। क्रिमिनल ने अपने आदेश में कहा है, कि प्रॉपर्टी को पैसों में कन्वर्ट किया जाना गलत है। वाटर एग्रीमेंट को ऑपरेशनल क्रेडिटर की तरह ट्रीट ना कर सामान्य अलाटी की तरह लिया जाना था। इसी वजह से नेशनल लॉ ट्रिब्यूनल ने दिवालिया आदेश को रद्द कर दिया है।