भोपाल । मसाले पर बढ़ती महंगाई सब्जी के स्वाद को फीका करने वाली है। तेल के दाम कम होने से तडक़ा तो लग रहा है, लेकिन मसाले की मात्रा घटने से दाल में जायका नहीं आ रहा है। दाल-चावल तो पहले ही महंगे थे, अब मसाले भी महंगे हो गए। त्योहार से पहले राशन पर बढ़े दाम ने रंग में भंग डालने का काम कर दिया।
व्यापारियों का कहना है कि मसाले के साथ साथ त्योहार पर उपवास के दौरान मेवा के दाम बढऩा लोगों को अखर रहा है। काजू, किसमिस, बादाम और मखाने पर 50 से 100 रुपये प्रतिकिलो की महंगाई दर्ज की गई।
खाने में जायका लाने वाले मसाले में शामिल लौंग, कालीमिर्च, डोंडे, इलाइची और जीरा का बढ़ते भाव लोगों के पसीना छुटाने का काम कर रहे हैं। खेरिज में लौंग का भाव बढक़र 1100 और काली मिर्च 760 से 800 रुए प्रतिकिलो तक जा पहुंची है। डोडा और जीरे के भावों में खासी तेजी आ चुकी है। इस महंगाई के पीछे व्यापारियों का कहना है कि मौसम का फसल पर बुरा प्रभाव बताया जा रहा है, इसके लिए मसाले की आवक कम हुई है। हालांकि कुछ व्यापारियों का कहना है कि फसल पर बुरा प्रभाव के साथ ही सट्टा बाजार गर्म हो चुका है। कारोबारियों ने माल का स्टाक करना शुरू कर दिया है, जिससे आवक कम होने से बाजार में भाव बढ़ गए हैं। जिसका असर सीधा मांग और आपूर्ति पर पड़ रहा है, क्योंकि मांग वही है पर आपूर्ति घटने से भाव बढऩे लगे हैं।
गणेश उत्सव पर लोग उपवास रखते हैं, जिसके चलते मेवा की मांग बाजार में बढ़ी है। इस मांग को देखते हुए मेवा के भाव में गर्मी आ गई। बादाम जहां 50 रुपये महंगा हुआ तो वहीं मखाने ने 100 रुपये की गर्मी पकड़ ली, जबकि छुआरा और नारियल के गोले के भाव में 30 से 50 रुपये टूटे हैं, जबकि घी में भी 50 रुपये का उछाल आया है।
इस वक्त दाल रोटी महंगी हो चुकी है पर तेल के दाम नीचे आ गए हैं। जहां तुअर दाल 175 रुपये किलो जा पहुंची है तो वही आटे के दाम में भी इजाफा हुआ है। इससे रसोई पर महंगाई का बोझ बढ़ता जा रहा है जिसके कारण अब आराम से दाल रोटी खाना भी मुश्किल हो रहा है। तेल के दाम पर गिरावट दर्ज की गई है। रिफाइंड का दाम 95 से 100 रुपये लीटर आ चुका तो सरसों का तेल 105 से 110 रुपये पर आ गया है। इस वक्त मूंग दाल 115, उड़द 100 रुपए ,उड़द 115, चने की दाल 80 रुपए तक पहुंच गई है। चावल भी महंगे हो चुके हैं।