मध्य प्रदेश के दोनों ज्योतिर्लिंग के आसपास धर्म-संस्कृति और रोजगार को विकसित किया जा रहा है। एक ओर जहां उज्जैन के श्री महाकाल महालोक की ख्याति देश-विदेश तक पहुंच चुकी है, वहीं दूसरी ओर ओंकारेश्वर के ओंकार पर्वत पर आध्यात्म लोक ‘एकात्म धाम’ भी विस्तार ले रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 21 सितंबर को ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का उद्घाटन और अद्वैत लोक संग्रहालय का शिलान्यास किया। एकात्म धाम देश-विदेश में सनातन का संदेश प्रसारित करने के साथ ही पर्यटन उद्योग को भी लाभान्वित करेगा, रोजगार के हजारों अवसर पैदा होंगे और सनातनी संस्कृति, कला और परंपराओं का संरक्षण भी होगा। यह प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगा। इसका प्रमुख कारण है अद्वैत लोक का अनोखपन, जो यहां पर्यटकों और श्रद्धालुओं को खासा आकर्षित करेगा। गौरतलब है कि सरकार इस अनोखे अद्वैत लोक को अंतर्राष्ट्रीय ज्ञान और शोध केंद्र के रूप में विकसित कर रही है। इसके निर्माण में सिद्धस्थ और समर्पित कारीगरों का हुनर और भारत की परंपरागत वास्तुकला का नजारा भी देखने को मिलेगा। यहां आने वाले श्रद्धालु और शोधार्थी भी भारतीय स्थापत्य कला से साक्षात्कार कर सकेंगे। 

आचार्य शंकर के जीवन प्रसंगों से होगा साक्षात्कार

एकात्म धाम की स्थापत्य शैली पुरातात्त्विक शैली से प्रेरित होगी और मंदिर की वास्तुकला नागर शैली से प्रभावित होगी। स्तंभों, भित्तिचित्रों और मूर्तियों पर आचार्य शंकर के जीवन प्रसंगों को उकेरा जाएगा। चार दिशाओं में चार मठों की स्थापना करने वाले जगतगुरु शंकराचार्य का मकसद था देश की चारों दिशाओं की संस्कृति और कला की धरोहर को संरक्षित और एकीकृत किया जाए। यही वजह है कि एकात्म धाम में चारो दिशाओं की कला की धरोहर देखने को मिलेगी।  

चार शिष्यों के नाम पर शोध केंद्र

अद्वैत लोक में सरकार शोधार्थियों और विद्यार्थियों के लिए चार शोध केंद्र भी स्थापित करने का विचार कर रही है। बता दें कि शोध केंद्र आदि गुरु शंकराचार्य के चार शिष्यों के नाम पर रखे गए हैं। ये केंद्र अद्वैत वेदान्त आचार्य शंकर अंतर्राष्ट्रीय संस्थान के अधीन होंगे।