नई दिल्ली । भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के संदर्भ में कहा कि जब एशिया में नियम-आधारित व्यवस्था को चुनौती दी जा रही थी, तब यूरोप द्वारा भारत को और अधिक व्यापार करने की सलाह दी गई थी। लेकिन "कम से कम हम आपको ऐसी सलाह नहीं दे रहे हैं। हमने यूरोप को एशिया की ओर देखने की सलाह दी, जिसकी सीमाएं अस्थिर थीं।" विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूक्रेन पर भारत के रुख की आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि पश्चिमी शक्तियां एशिया के सामने आने वाली चुनौतियों से बेखबर हैं, जिसमें अफगानिस्तान में पिछले साल की घटनाएं और क्षेत्र में नियम-आधारित व्यवस्था पर लगातार दबाव शामिल है। ‘रायसीना डायलॉग’ में एक संवाद सत्र में, जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन में संकट यूरोप के लिए “चेताने वाला” हो सकता है, ताकि वह यह भी देखे कि एशिया में क्या हो रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों से यह दुनिया का “आसान हिस्सा” नहीं है। यूक्रेन की स्थिति पर नॉर्वे के विदेश मंत्री एनिकेन हुइटफेल्ड के एक विशिष्ट प्रश्न पर, जयशंकर ने कहा कि भारत लड़ाई की तत्काल समाप्ति और कूटनीति व बातचीत के रास्ते पर लौटने के लिए दबाव डाल रहा है। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि जहां तक यूक्रेन में संघर्ष का सवाल है, हमारा बहुत स्पष्ट रुख है, जिसे साफ तौर पर व्यक्त किया गया है। एक दृष्टिकोण जो लड़ाई की तत्काल समाप्ति पर जोर देता है, जो कूटनीति और बातचीत के रास्ते पर लौटने का आग्रह करता है, जो राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता पर बल देता है। उन्होंने कहा, “आपने यूक्रेन के बारे में बात की थी। मुझे याद है, एक साल से भी कम समय पहले, अफगानिस्तान में क्या हुआ था, जहां समूची नागरिक संस्थाओं को दुनिया ने अपने फायदे के लिये उसके हाल पर छोड़ दिया था।” उन्होंने कहा, “मैं पूरी ईमानदारी से कहूंगा, हम सभी अपने विश्वासों और हितों, अपने अनुभव का सही संतुलन खोजना चाहेंगे, और यही सब वास्तव में करने की कोशिश करते हैं। यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों से अलग दिखता है। प्राथमिकताएं अलग हैं और यह काफी स्वाभाविक है। मंत्री नॉर्वे और लक्ज़मबर्ग के अपने समकक्षों के साथ-साथ स्वीडन के पूर्व प्रधान मंत्री कार्ल बिल्ड द्वारा यूक्रेन संकट पर किये गए सवालों का जवाब दे रहे थे। जयशंकर ने कहा, “काफी स्पष्ट रूप से, हम पिछले दो महीनों से यूरोप से बहुत सारी दलीलें सुन रहे हैं कि यूरोप में चीजें हो रही हैं और एशिया को इसकी चिंता करनी चाहिए क्योंकि यह एशिया में हो सकता है।