मुतवाजी जत्थेदार ध्यान सिंह मंड ने राज्य के सियासी पार्टियो से अपील की कि वे पंजाब के पानी के मुद्दे पर सियासत न करें और राजनीति छोड़कर पंजाब की समस्याओं के लिए हल निकाले।

उन्होंने कहा कि श्री अकाल तख्त हमेशा दुनिया में रहने वाले सिखों और उनसे जुड़े मुद्दों पर हर पहलू पर मार्गदर्शन करता रहा है।

वर्तमान समय में सबसे बड़ा मुद्दा नदी का पानी है, किंतु, हैरानी की बात यह है कि जब भी चुनाव आते हैं तो पानी का मुद्दा उठता है और चुनाव के बाद यह ठंडे बस्ते में चला जाता है। इसी तरह पंजाब से जुड़े हर मुद्दे को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है जो निंदनीय है.

उन्होंने पंजाब के सभी राजनीतिक दलों से इस मुद्दे पर हल्की सियासत छोड़कर सतर्क रुख अपनाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि पानी के मुद्दे पर पंजाब के लोगों की लड़ाई हरियाणा के लोगों से नहीं है. किसान आंदोलन में दोनों तरफ से इसे लेकर काफी कुछ साफ हो चुका है. यह लड़ाई केवल केंद्र सरकार की दादागिरी के खिलाफ है।

मंड ने कहा कि इसका सबसे अच्छा समाधान यह है कि केंद्र सरकार चंडीगढ़, यमुनानगर, पंचकुला, अंबाला, कुरूक्षेत्र, करनाल, फतेहाबाद और सिरसा आदि पंजाबी भाषी क्षेत्रों को पंजाब को दे दे। फिर दोनों राज्य मिलकर जल बंटवारे का मसला सुलझाएंगे.