भोपाल । आदिवासी युवाओं संगठन जयस के एक घड़े ने विधानसभा चुनाव में 18 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए है। नए चुनावी फॉर्मूला पर काम करते हुए प्रत्याशी हर घर से एक मुठ्ठी अनाज या 10 रुपए नकद (नेक) मांग रहे है। समाज को जोडऩे के लिए ये गणित लगाया गया है। कुछ वर्षो में जयस ने आदिवासी क्षेत्र में खासी पकड़ बनाई है, जिसका असर पांच साल पहले विधानसभा चुनाव में भी देखन को मिला था। जयस का कांग्रेस के साथ समझोता हो गया था जिसके चलते संगठन कार्यकर्ताओं ने खुलकर मदद की थी। मालवा निमाड़ की भाजपा के कब्जे वाली अधिकांश आदिवासी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा हो गया था। अब उसका कांग्रेस से मोह भंग हो चुका है जिसके चलते संगठन ने निर्दलीय प्रत्याशी खड़े कर दिए।
जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दा ने 18 प्रत्याशी खड़े किए है जिसमें से मालवा-निमाड़ के 16 है। संगठन आर्थिक संकट के चलते नए फॉर्मूला पर काम कर रहा है। प्रत्याशी घर-घर जनसंपर्क कर एक सहायता ले रहे है। उसमें एक मुठ्ठी अनाज लिया जा रहा है या 10 रुपए नकद। अधिकांश घरों से अनाज मिल रहा है तो कहीं-कहीं पर दोनों भी मिल रहे है। सहायता लेने के साथ में प्रत्याशी उन्हें साथ में चलने का भी आग्रह कर रहे है जिससे काफिला बढ़ता भी जा रहा है। इधर, ढोल और मांदल तो जयस की टीम बजा ही रही है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान जब पहला चुनाव लड़े थे तब एक वोट और खर्च के लिए एक रुपया मतदाताओं से लेते थे।
आदिवासी घरों में ज्वार, बाजरा और मक्का बड़ी मात्रा में मिल रहा है। अलग-अलग अनाज के लिए अलग-अलग झोले रखे गए है। अधिक मात्रा में अनाज आने पर उन्हें बेचकर प्रचार की गाड़ी में डीजल खर्च निकाला जा रहा है। नकद राशि को प्रचार प्रसार पर खर्च किया जा रहा है।
गौरतलब है कि मालवा निमाड़ की 22 आदिवासी आरक्षित सीट पर 2018 में कांग्रेस का 17 पर कब्जा था। भाजपा के हाथ में महज 5 ही सीट लगी थी। बाद में उपचुनाव में भाजपा ने दो सीट जीती तो कांग्रेस ने एक पर कब्जा किया। ऐसे भाजपा के पास छह और कांग्रेस के पास वर्तमान में 16 सीट थी। यहां दमदारी से लड़ रहा जयस का मानना है कि चुनाव में उनका प्रभाव साफ नजर आएगा। खासतौर पर कुछ सीटों पर उनके प्रत्याशी की पकड़ जमीनी तौर पर मजबूत भी है। सरदारपुर, भगवानपुरा, नेपानगर, मंधाता, जोबट, रतलाम ग्रामीण, अलीराजपुर, थादला व पेटलावद से वे दमदारी से चुनाव लड़ रहे है। ऐसे में दोनों ही पार्टियों को नुकसान होने का खतरा बना हुआ है।