जबलपुर  । बाजार के ठंडे पेय और घरों में फ्रिज का उपयोग गर्मी में बढ़ जाता है लेकिन आज भी मटके के ठंउð पानी से जो राहत मिलती है उसका मुकाबला कहीं नहीं। यही कारण है कि हर साल गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा बिक्री मिट्टी के मटकों की ही हो ती है। इस बार भी बाजार लग चुका है लेकिन महंगाई और मांग का असर इसके दामों पर भी दिख रहा है। मटके के दाम पिछले साल की तुलना में दोगुने हो गए हैं। जो मटका चालीस से पचार रुपए का मिलता था वो अब 90 से 100 रुपए का मिल रहा है। गर्मी का मौसम शुरू होते ही नगर गांव के बाजार में मटको की दुकानें लग चुकी हैं। इनकी मांग तो बनी हुई है लेकिन इस बार मटकों की कीमतों ने लोगों का पसीना निकाला हुआ है। बाजार में मटके के खरीदार राजेश सिंह ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार मटके काफी महंगे मिल रहे हैं।  मटका खरीद रहे दूसरे ग्राहक बोबडे ने बताया कि वे दो मटके खरीदने आए थे, लेकिन मटकों के अधिक दाम को देखते हुए एक ही मटका खरीद कर ले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि छोटे से मटके की कीमत पहले 50 रुपये होती थी इस बार 90 रुपये के हिसाब से बिक रहे हैं। इधर इस व्यवसाय से जुड़े कुंभकारों का कहना है कि कोरोना के बाद से सभी चीजों के दाम बढ़ गए हैं। उनका कहना है कि मिट्टी महंगी मिल रही है। उसके बाद उसके परिवहन और फिर जिस तरह से मेहनत लगती है उसको देखते हुए ही इनके दाम बढ़ाए जा रहे हैं।  पहले गांव में मिट्टी ही मिल जाती थी अब दूसरे गांव से चार हजार रुपये किराया देकर मिट्टी मंगा रहे हैं। ऐसे में चीजों के दाम तो बढ़ना ही है।