नई दिल्ली । टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (टीडीएस) यानी वो टैक्स, जो आपकी किसी भी इनकम से काटा जाता है। बहुत सारे टैक्स पेयर्स सैलरी या इन्वेस्टमेंट से होने वाली इनकम पर टीडीएस से परेशान रहते हैं। इससे बचने के लिए आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से रिफंड के लिए फॉर्म भर सकते हैं। इसके अलावा कई और उपाय हैं जिनके जरिए आप टैक्स डिडक्शन से बच सकते हैं।
टीडीएस कब काटा जाता है? कुछ तय सोर्सेस से होने वाली इनकम पर एक लिमिट (थ्रेसहोल्ड लिमिट) के बाद टैक्स काटा जाता है। टीडीएस इस बात पर निर्भर करता है कि टैक्सपेयर किस ब्रैकेट में आता है। इसके अलावा इनकम के अलग-अलग टाइप पर टीडीएस भी अलग होता है। उदाहरण के लिए डिविडेंड यानी किसी शेयर कंपनी के प्रॉफिट में आपका शेयर अगर 5,000 रुपए से ज्यादा हो जाता है तो इस पर डिपार्टमेंट ञ्जष्ठस् काट लेगा।
वहीं अगर आप किसी बैंक की सेविंग अकाउंट, एफडी या किसी दूसरे स्कीम से पैसा कमाते हैं तो भी आपको टैक्स देना पड़ेगा। हालांकि इसकी एक लिमिट है। यह लिमिट आम नागरिकों के लिए 40 हजार रुपए है, जबकि सीनियर सिटीजन के लिए 50 हजार रुपए है। इन सोर्सेस से अगर आपकी इनकम इस दी गई लिमिट के उपर जाता है, तो आपकी आय टैक्सेबल हो जाती है।