मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भोपाल के एक  प्रतिष्ठित प्रादेशिक दैनिक समाचार पत्र के 11 जनवरी 2022 के अंक में प्रकाशित ‘‘केन्द्रीय जेल में 35 बुजुर्ग कैदी.... सजा पूरी, लेकिन जुर्माने की राशि भरने वाला कोई नहीं, 26 जनवरी को रिहाई न हुई, तो 15 अगस्त तक करना होगा इंतजार’’ शीर्षक खबर पर स्वसंज्ञान लिया था।
मामले में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन ने प्रमुख सचिव, म.प्र. शासन, जेल विभाग, मंत्रालय, महानिदेशक (डीजी) जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं, मध्यप्रदेश सहित केन्द्रीय जेल, भोपाल के अधीक्षक से तीन सप्ताह में जवाब मांगा था। आयोग ने इन अधिकारियों से यह भी पूछा था कि इन मुल्जिमों को किस धारा में कितनी सजा दी गई थी ? ये अब तक कितनी सजा काट चुके ? क्या विधिक सेवा प्राधिकरण (लीगल सर्विस अथाॅरिटी) के माध्यम से रिट पिटीशन लगाने का कोई प्रयास किया गया था। आयोग द्वारा मामले की निरन्तर सुनवाई की गई। अन्ततः इस मामले में केन्द्रीय जेल अधीक्षक भोपाल के प्रतिवेदन का हवाला देकर उप महानिरीक्षक, जेल मुख्यालय, मध्यप्रदेश ने आयोग को प्रतिवेदन दिया है कि कुल 35 बंदियों में से एक बंदी को 17 दिसंबर 2021 को ही जेल से रिहा कर दिया गया था तथा एक अन्य बंदी की सजा पूर्ण ना होने के कारण तथा प्राधिकार समिति द्वारा उसकी रिहाई की अनुशंसा नहीं किये जाने के कारण उसे अपात्र पाया गया था। शेष 33 बंदियों की जुर्माना राशि केन्द्रीय जेल, भोपाल कार्यालय में जमा हो जाने के कारण इन सभी 33 बंदियों को गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2022) को ही रिहा कर दिया गया है।
चूंकि मामले का अंतिम निराकरण हो चुका है, अतः आयोग में यह मामला अब समाप्त कर दिया गया है।