नारद और स्कंद पुराण के मुताबिक माघ महीने की द्वादशी तिथि (Til Dwadashi 2022) पर तिल दान करने का भी महत्व बताया गया है। इस बार द्वादशी और प्रदोष व्रत एक ही दिन होने से शनिवार को भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा से मिलने वाला पुण्य और बढ़ जाएगा।

पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक इस द्वादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर तिल मिला पानी पीना चाहिए। फिर तिल का उबटन लगाएं। इसके बाद पानी में गंगाजल के साथ तिल डालकर नहाना चाहिए। इस दिन तिल से हवन करें। फिर भगवान विष्णु को तिल का नैवेद्य लगाकर प्रसाद में तिल खाने चाहिए। इस तिथि पर तिल दान करने अश्वमेध यज्ञ और स्वर्णदान करने जितना पुण्य मिलता है।

तिल द्वादशी पर इस विधि से करें पूजा
- द्वादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले तिल मिले पानी से नहाने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा से पहले व्रत और दान करने का संकल्प लें।
- फिर ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए पंचामृत और शुद्ध जल से विष्णु भगवान की मूर्ति का अभिषेक करें।
- इसके बाद फूल और तुलसी पत्र फिर पूजा सामग्री चढ़ाएं। पूजा के बाद तिल का नैवेद्य लगाकर प्रसाद लें और बांट दें।
- इस तरह पूजा करने से कई गुना पुण्य फल मिलता है और जाने-अनजाने हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।

तिल द्वादशी का उपाय
शिवजी मंदिर जाकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र बोलते हुए शिवलिंग पर जल और दूध से अभिषेक करें। फिर बिल्व पत्र और फूल चढ़ाएं। इसके बाद काले तिल चढ़ाएं। इसके बाद शिव मूर्ति या शिवलिंग के नजदीक तिल के तेल का दीपक लगाएं। शिव पुराण का कहना है कि ऐसा करने से हर तरह की परेशानियां और बीमारियां खत्म होने लगती है।