नई दिल्ली।  कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बयान- साल 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष का नेतृत्व करेगी, पर जनता दल (यूनाइटेड) और लेफ्ट पार्टियों ने कांग्रेस नेतृत्व को आगाह किया है कि उसे विपक्षी खेमे की लीडरशिप के सवाल पर बयानबाजी करने से बचना चाहिए।  
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि, “2024 में गठबंधन सरकार केंद्र में (सत्ता में) आएगी। कांग्रेस नेतृत्व करेगी। हम अन्य पार्टियों से बात कर रहे हैं, क्योंकि नहीं तो लोकतंत्र और संविधान चला जाएगा। हम 2024 कैसे जीतें इस पर अपने विचार साझा कर रहे हैं। अन्य सभी पार्टियां साथ मिलकर चलेंगी, बेशक कांग्रेस नेतृत्व करेगी और हमें बहुमत मिलेगा।
इसके 24 घंटे के अंदर कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दिल्ली में कहा, कांग्रेस के पास राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक गठबंधन का नेतृत्व करने का सफल अनुभव है।
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के बयान पर विपक्षी खेमे में फिर राजनीतिक बहस छिड़ गई है। जनता दल यूनाइटेड के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने आगाह किया कि क्षेत्रीय पार्टियां भी एक मोर्चा बनाने में लगी हैं जो कांग्रेस और बीजेपी से अलग होगा। इस कवायद में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव समेत कई नेता शामिल हैं और विजयवाड़ा में फिर एक रैली करने की कवायद में जुटे हैं।  
केसी त्यागी ने कहा, प्रधानमंत्री कौन हो, यह सवाल अभी तय नहीं हुआ है। यह तय हो जाता तो अच्छी बात है। लेकिन शरद पवार के बगैर, नवीन पटनायक के बगैर, ममता बनर्जी के बगैर, अखिलेश यादव के बगैर, प्रकाश सिंह बादल के बगैर, केसीआर के बगैर वाईएसआर के बगैर, केजरीवाल के बगैर कैसी विपक्षी एकता बनेगी, इसके बारे में हमारा शक है। अभी विपक्ष के नेतृत्व के सवाल पर अगर वक्तव्य नहीं दिए जाएं तो विपक्ष की एकता के लिए अच्छा होगा।
लेफ्ट पार्टियां भी लीडरशिप के सवाल से बचने की कोशिश कर रही हैं। सीपीआई के नेता और राज्यसभा सांसद बिनोय विश्वम ने  कहा, अब यह तय करना कि 2024 में धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों के इस गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा। यह एक ऐसा सवाल है जो इस समय अपरिपक्व है। इसे बाद के चरण में सामने आना चाहिए। यह भाजपा के हारने के बाद ही आना चाहिए।
विपक्षी खेमे में लीडरशिप के मुद्दे पर गंभीर मतभेद हैं। संसद के अंदर और बाहर महत्वपूर्ण मौकों पर राष्ट्रीय और अहम क्षेत्रीय दलों के बीच अन्तर्विरोध खुलकर सामने आते रहे हैं। ऐसे में अब कुछ विपक्षी दलों के नेता चाहते हैं कि विपक्ष को राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट करने के लिए लीडरशिप के सवाल को छोड़कर एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार करने पर पहल हो तो बेहतर होगा।