बेंगलूरु । इसरो ने बताया है ‎कि भारत का चंद्रयान-3 मिशन चांद की सतह पर सही तरीके से काम कर रहा है। इस दौरान प्रज्ञान रोवर ने चांद पर पहली बाधा सफलतापूर्वक पार कर ली है। रोवर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर लगभग 100 मिमी की गहराई वाले चंद्र क्रेटर को पार करने में कामयाब रहा। ऐसा होने के बाद से इसरो के वैज्ञानिक ज्यादा उत्साहित हैं। उन्हें पूरा विश्वास हो गया है कि प्रज्ञान हर बाधा को पार करके अपनी रिसर्च जारी रखेगा। हालांकि, रोवर के संचालन की सीमाएं हैं। एक बार जब नेविगेशन कैमरा चित्र भेजता है तो अधिकतम पांच मीटर तक डिजिटल एलिवेशन मॉडल उत्पन्न किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि जब भी रोवर को चलने का आदेश दिया जाता है, तो वह अधिकतम पांच मीटर की दूरी तय कर सकता है। चंद्रयान -3 परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल ने कहा कि इस सीमा के भीतर भी बाधाएं और चुनौतियां हैं। इन चुनौतियों के बावजूद, रोवर ने अपनी पहली बाधा, एक चंद्र क्रेटर, को सफलतापूर्वक पार कर लिया, जिससे इसरो टीम को काफी राहत मिली। रोवर की गतिविधियों को टेलीमेट्री और दूरसंचार की 24/7 अनुपलब्धता और सूर्य को लगातार ट्रैक करने की आवश्यकता जैसी सीमाओं का भी सामना करना पड़ता है।
इस अ‎भियान में यूआरएससी के डायरेक्टर एम संकरन और इसरो के टॉप मैनेजमेंट का सहयोग मिलता रहा। परिणामस्वरूप, प्रत्येक मूवमेंट ऑपरेशन के बीच टर्नअराउंड समय लगभग पांच घंटे है। इन चुनौतियों के बावजूद, परियोजना निदेशक ने रोवर की प्रगति और अच्छे परिणामों की संभावना पर विश्वास व्यक्त किया। गौरतलब है कि विभिन्न उपकरणों से सुसज्जित प्रज्ञान रोवर को चंद्रमा के भूविज्ञान और वातावरण का अध्ययन करने का काम सौंपा गया है। लैंडर से निकलने के बाद से यह लगभग आठ मीटर की दूरी तय कर चुका है। रोवर की अपनी पहली चंद्र बाधा पार करना एक ऐतिहासिक क्षण है।