नई दिल्ली । तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में एक साल तक दिल्ली-एनसीआर के चारों शाहजहांपुर, टीकरी, सिंघु और गाजीपुर बार्डर पर चला किसान आंदोलन उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2020 में बेअसर साबित रहा है। इसकी तस्दीक जारी तमाम टेलीविजन न्यूज चैनलों के एग्जिट पोल भी कर रहे हैं।  वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय के सर्वे में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भारतीय जनता पार्टी को 334 सीटें मिल रही हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के वैश्विक अध्ययन केंद्र के इस सर्वे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 58 सीटों पर भाजपा को 50 सीटें मिल रही हैं, जबकि इस इलाके को किसान आंदोलन के असर वाला क्षेत्र कहा गया था। बावजूद इसके इस सर्वे में साफ जाहिर हो रहा है कि राकेश टिकैत और किसान आंदोलन दोनों यहां पर बेअसर रहे। दिल्ली विश्वविद्यालय के एग्जिट पोल/सर्वे में भी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन रही है। हैरानी की बात है कि दिल्ली-एनसीआर में सालभर प्रदर्शन कर लोगों की जिंदगी मुहाल करने वाले किसान आंदोलन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी बेअसर है। भाजपा को इस क्षेत्र में 58 सीटों में से 50 से अधिक सीटें हासिल हो रही हैं। बता दें कि किसान आंदोलन शुरू होने के साथ ही किसान नेता राकेश टिकैत लगातार भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर रहे हैं। कई बार खुलकर तो कई बार अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा का विरोध किया। गौरतलब है कि नवंबर में कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद दिल्ली, पंजाब, लखनऊ और बनारस विश्वविद्यालय के शोधार्थियों के सर्वे में भारतीय जनता पार्टी के लिए राहत की बात सामने आई थी। इस सर्वे में निकलकर आया था कि इस बार उत्तर प्रदेश और पंजाब में कृषि कानून प्रमुख चुनावी मुद्दा नहीं होगा। सर्वे में मतदाताओं ने कृषि कानूनों पर चल रही रार को बहुत अधिक तव्वजो नहीं दी थी। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब के चुनावों के मद्देनजर दिल्ली व अन्य तीनों विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों ने यह जानने का प्रयास किया था कि मतदाता किन मसलों पर मतदान करेंगे