कोलंबो । राजनीतिक संकट से गुजर रहे नए राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए श्रीलंकाई संसद की बैठक से पहले कोलंबो में भारतीय उच्चायुक्त गोपाल बागले ने स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धन से मुलाकात की और कहा कि भारत श्रीलंका में लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक सुधार का समर्थन करना जारी रखेगा। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश से पलायन और बाद में इस्तीफा देने और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण के बाद यह श्रीलंकाई संसद के स्पीकर के साथ भारतीय दूत का पहला सार्वजनिक रूप से घोषित संपर्क था। एक खबर के मुताबिक एक ट्विटर पोस्ट में श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने कहा कि उच्चायुक्त ने आज सुबह माननीय स्पीकर से मुलाकात की। विशेष रूप से इस महत्वपूर्ण मोड़ पर लोकतंत्र और संवैधानिक ढांचे को बनाए रखने में संसद की भूमिका की सराहना की। भारत श्रीलंका में लोकतंत्र, स्थिरता और आर्थिक सुधार का समर्थन करता रहेगा। श्रीलंका के संविधान के तहत लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए भारत से समर्थन का यह भरोसा महत्व रखता है। क्योंकि प्रदर्शनकारी अभी भी विक्रमसिंघे सहित पूरे मंत्रिमंडल और वरिष्ठ अधिकारियों के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
गौरतलब है कि कोलंबो में भारतीय उच्चायोग के बाहर शनिवार को एक समूह इकट्ठा हुआ और विरोध प्रदर्शन किया। इस बीच 20 जुलाई को नया राष्ट्रपति चुनने की संसदीय प्रक्रिया शुरू हो गई है। शुक्रवार को स्पीकर अभयवर्धने ने कहा था कि नए राष्ट्रपति का चुनाव 20 जुलाई को संसद के जरिए किया जाएगा, जैसा कि सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने तय किया है। संसद के संचार विभाग ने कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन 19 जुलाई को और मतदान 20 जुलाई को संविधान के प्रावधानों के अनुसार होगा। विक्रमसिंघे के अलावा विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा, पूर्व सेना प्रमुख सरथ फोंसेका, पूर्व मंत्री दुल्लास अलहप्परुमा और जेवीपी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने में रुचि व्यक्त की है।