काठमांडू। चीन से सटे नेपाल की सीमा से लगे मुस्तांग जिले में बौद्ध कॉलेज खोलने के लिए भारतीय दूतावास को पत्र लिखने के मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया है। इसे लेकर प्रधानमंत्री एवं सीपीएन (एमसी) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' और विपक्षी सीपीएन (यूएमएल) अध्यक्ष केपी शर्मा ओली एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।
  ओली ने प्रधानमंत्री प्रचंड पर चीन से गद्दारी का आरोप लगाते हुए कहा कि मुस्तांग में बौद्ध विश्वविद्यालय खोलने के लिए भारत से मदद मांगी थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने मुस्तांग में बौद्ध विश्वविद्यालय खोलने के नाम पर प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार ने यूरेनियम की ओर आंखें टिकाई है। प्रधानमंत्री प्रचंड ने ओली के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने बौद्ध विश्वविद्यालय व कॉलेज खोलने के लिए भारत से कोई मदद लेने का फैसला नहीं किया है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार इसकी जांच करेगी।

मुस्तांग के बारागुंग मुक्तिक्षेत्र ग्रामीण नगर पालिका के अध्यक्ष रिनजिंग नाम गेल गुरुंग ने इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद एक बौद्ध कॉलेज के निर्माण के लिए भारतीय दूतावास को वित्तीय सहायता की सिफारिश की थी, उसकी जांच की जाएगी। वह ओली के नेतृत्व वाली पार्टी सीपीएन (यूएमएल) से चुने गए ग्राम उपाध्यक्ष हैं। लापरवाही या जानबूझ कर हासिल अधिकारों के इस्तेमाल के मामले में जांच बढ़ाने की तैयारी की गई है।
 
गुरुंग ने बौद्ध कॉलेज के निर्माण के लिए शाक्य बौद्ध संघ के पत्र के आधार पर भारतीय दूतावास से वित्तीय सहायता की सिफारिश की थी। इस मुद्दे के सामने आने के बाद आलोचना होने लगी कि वे चीन की सीमा से जुड़े संवेदनशील इलाकों में हेरफेर करने के लिए बाहरी ताकतों को लाने की कोशिश कर रहे हैं। मुस्तांग नेपाल का एक उत्तरी हिमालयी जिला है जो चीन की सीमा से सटा हुआ है। इस क्षेत्र में चीन की गहरी दिलचस्पी है। अतीत में तिब्बती विद्रोहियों ने मुस्तांग में अड्डा बनाकर चीनी सेना का मुकाबला किया था।