भोपाल । गर्मी बढऩे के साथ ही प्रदूषण का स्तर फिर से बढऩे लगा है। शहर की टूटी फूटी सड़कों पर दौड़ रहे वाहनों से उठती धूल लोगों को परेशान कर रही है। यह धूल सांस नली के द्वारा उनके शरीर में प्रवेश कर नुकसान पहुंचा सकती है। वाहन व औद्योगिक क्षेत्र फैलता जा रहा है। इनसे निकलने वाला धुंआ लोगों की जिंदगी घटा रहा है और लोगों को सांस रोगी बना रहा है।
वाहनों से निकलने वाला धुआं और फैक्ट्री से निकलने वाला जहरीला धुआं खुले वातावरण में घुल रहा है। जिसमें सांस लेने पर लोग सांस रोगी बन रहे हैं। धुआं के साथ में निकलने वाली हानिकारक गैस और मेटल लोगों को कई तरह की बीमारियां दे रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि मानव शरीर जब हवा, मिट्टी और पानी के संपर्क में आने पर भारी धातु को ग्रहण कर सकता है। पर्यावरण में मौजूद कुछ आम हेवी मेटल्स में आर्सेनिक, लेड, कैडमियम, पारा, क्रोमियम, निकल, मैंगनीज शामिल हैं। ये हमारे शरीर पर प्रतिकूल यानी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं और इसके लिए हमें तुरंत मेडिकल जांच की आवश्यकता हो सकती है। कुछ मामलों में मेटल टोक्सिसिटी लोगों की मृत्यु का कारण भी हो सकती है। हालांकि यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है और आप कुछ लक्षणों के जरिए पहचान कर सकते हैं।
प्रदूषित वायु का बुरा प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा
शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण शर्मा बताते हैं कि प्रदूषित वायु का बुरा प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है। बच्चे तेजी से अस्थमा के शिकार बन रहे हैं। प्रदूषण के कारण हवा में जहरीली गैसें घुली होती है जो सांस लेने पर आक्सीजन के साथ शरीर में पहुंचती हैं और श्वांस नली पर असर डालती हैं। डॉ. आरती तिवारी बताती हैं कि जब यह मेटल गर्भवती महिला के शरीर में दूषित हवा या पानी के माध्य से प्रवेश करते हैं तो वह बच्चे के लिए खतरा बनते हैं। हैवी मेटल के कारण गर्भपात तक हो जाता है। गायनोक्लाजिस्ट डॉ. नेहा गुप्ता का कहना है कि वातावरण में जिस तरह से प्रदूषण बढ़ रहा है उसका असर भी दिखाई दे रहा है। यदि हम जिले की बात करें तो हर दिन ग्वालियर में एक सैंकड़ा से अधिक गर्भपात व कारीब 15 से 20 समय से पहले डिलेवरी हो रही हैं। इनका कारण भी कहीं न कहीं प्रदूषण है। प्रदूषण का कारण दूषित हवा ,पानी या भोजन हो सकता है। क्योंकि शुद्ध हवा, पानी और खाना की उपलब्धता में गिरावट आ रही है। लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से गर्भपात हो सकता है। महिला पुरुष के दोंनो में फर्टिलिटी में कमी आ सकती है। खून में आक्सीजन की कमी से मां को अस्थमा की शिकायत हो सकती है जिसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ सकता है। बच्चा कमजोर हो सकता, मां को खून की कमी हो सकती है, खून में आक्सीजन की कमी आ सकती है। यह सब दूषित वायु में सांस लेने पर शरीर में हैवी मेटल मौजूदगी जब बढ़ती है तो यह समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। इसलिए शुद्व वातावरण में निवास करें। घर के आसपास या घर में पेड़ पौधे लगाए जिस्से शुद्व वायु का निर्माण हो। वायु प्रदूषण अधिक है तो मास्क का प्रयोग करें।