भाजपा की क्लीन स्वीप की चाह...कांग्रेस रोक रही राह
आधा दर्जन शहरों में कांग्रेस के उम्मीदवार दिख रहे दमदार

भोपाल । प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव का घमासान चरम पर है। पिछली बार की तरह भाजपा इस बार भी 16 नगर निगमों में महापौर की सीटें जीतकर क्लीन स्वीप करना चाहती है, लेकिन कांग्रेस करीब आधा दर्जन शहरों में उसकी राह रोके खड़ी है। इससे इस बार चुनाव रोचक स्थिति में पहुंच गया है। उधर भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज अपने-अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए कमर कस चुके हैं। वहीं आम आदमी पार्टी और कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशियों की जीत का समीकरण बिगाड़ते दिख रहे हैं। इस बार कांग्रेस आक्रामक और संगठित तौर पर सक्रिय दिख रही है। प्रदेश के 16 नगर निगमों में महापौर के लिए हो रहे चुनाव में कांग्रेस कई शहरों में पहली बार भाजपा को कड़ी टक्कर देती दिख रही है। पहली बार ऐसा भी हो रहा है कि बड़े नेता इन चुनावों में इतने सक्रिय दिख रहे हैं। पिछली बार सोलह सीटों पर क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा इस बार भी यही लक्ष्य लेकर चल रही है पर कांग्रेस ने इस बार कई स्थानों पर बेहतर प्रत्याशी उतार कर उसकी पेशानी पर बल ला दिए हैं।

इस बार जोरदार टक्कर
विधानसभा और लोकसभा की तरह नगरीय निकाय चुनाव को भी भाजपा अपने मजबूत संगठन के सहारे बूथ पर फोकस कर लड़ रही है। उसने हर बूथ पर अपने कार्यकर्ताओं से केन्द्र और राज्य की योजनाओं हितग्राहियों की सूची बनाने को कहा है। वह इनसे सम्पर्क कर इन्हें वोट में तब्दील करने पर जोर दे रही तो कांग्रेस महंगाई के मुद्दे को जनता के बीच लेकर जा रही है और परिवर्तन का नारा देकर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने तीन विधायकों समेत एक विधायक की पत्नी, पूर्व विधायक की पत्नी को मैदान में उतारा है। वहीं जबलपुर में उसने शहर कांग्रेस के अध्यक्ष को टिकट दिया है। कांग्रेस के साथ उनका अपने क्षेत्र में तगड़ा नेटवर्क भी है। यही वजह है कि ये प्रत्याशी भाजपा के लिए चुनाव में चुनौती बन गए हैं।

ग्वालियर में शोभा सिकरवार की दमदार चुनौती
ग्वालियर नगर निगम में महापौर पद के कुल सात उम्मीदवार हैं। यहां भाजपा की सुमन शर्मा और कांग्रेस की शोभा सतीश सिकरवार के बीच मुकाबला है। हालांकि आम आदमी पार्टी की रुचि राय ठाकुर भी चुनावी ताल ठोक रही हैं। प्रदेश में ग्वालियर सबसे बड़ा राजनीतिक गढ़ माना जाता है और यही वजह है कि भाजपा और कांग्रेस पार्टी का सबसे बड़ा ज्यादा फोकस ग्वालियर नगर निगम पर है। ग्वालियर नगर निगम पर पिछले 52 सालों से भाजपा का कब्जा है। लेकिन इस बार भाजपा को कांग्रेस प्रत्याशी से जोरदार चुनौती मिल रही है। ग्वालियर में विधायक सतीश सिकरवार की पत्नी शोभा सिकरवार मैदान में हैं। सतीश विधानसभा चुनाव भाजपा से लड़े थे और कांग्रेस के मुन्नालाल गोयल से हार गए थे पर उपचुनाव में वे कांग्रेस में आ गए और भाजपा के मुन्नालाल गोयल को हरा दिया। सतीश के पिता गजराज सिंह, भाई नीटू विधायक रहे हैं। उनके पास अपना खुद का भी नेटवर्क है। वे पूरी ताकत से मैदान में है और भाजपा की सुमन शर्मा को तगड़ी टक्कर दे रहे हैं। सीएम ग्वालियर का दौरा एक बार कर चुके हैं। वहीं कमलनाथ भी प्रचार कर चुके हैं। वहीं केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर यहां सक्रिय हैं। आने वाले दिनों में ज्योतिरादित्य सिंधिया भी माहौल को भाजपा के पक्ष में करेंगे। पहली बार यहां बड़े नेताओं को जनता छोटे चुनाव में पसीना बहाते देख रही है।

इंदौर में संजय शुक्ला प्रचार में आगे
मेयर पद के लिए दिलचस्प मुकाबला इंदौर में भी देखने को मिल सकता है। यहां कुल 19 प्रत्याशी मैदान में हैं। भाजपा ने पुष्यमित्र भार्गव को अपना प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस की तरफ से संजय शुक्ला, आम आदमी पार्टी की तरफ से कमल कुमार गुप्ता और एनसीपी की तरफ से कुलदीप पवार तोल ठोक रहे हैं। कांग्रेस ने विधायक संजय शुक्ला को टिकट दिया था। संजय काफी पहले ही प्रत्याशी घोषित हो चुके थे। लिहाजा उन्होंने अपना चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया था। वे प्रचार में भाजपा से आगे हैं। वहीं पुष्यमित्र भार्गव वकालत के पेशे से सीधे राजनीति में आए हैं। वे पूरी तरह पार्टी के बड़े नेताओं और संगठन के भरोसे हैं। ऐसे में मुकाबला यहां दिलचस्प हो गया है।

सागर में जातिगत समीकरण तय करेंगे जीत-हार
सागर में मेयर पद के लिए कुल 8 उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला होगा। जैन बाहुल्य शहर सागर में कांग्रेस ने पूर्व विधायक सुनील जैन की पत्नी निधि जैन को प्रत्याशी बनाया है। कभी देवरी से पूर्व विधायक रहे सुनील जैन भाजपा विधायक शैलेन्द्र जैन के छोटे भाई हैं। सुनील के साथ भी पहचान का संकट नहीं है। उनका टिकट पहले ही तय हो गया था। लिहाजा कांग्रेस चुनाव प्रचार में पहले ही जुट गई थी। भाजपा ने भारी मंथन के बाद सुशील तिवारी की पत्नी संगीता तिवारी को मैदान में उतारा है। सुशील तिवारी अपने समय में दबंग छात्र नेता माने जाते थे। वे दो बार कांग्रेस से विधायक का चुनाव भी लड़ चुके हैं पर हार गए थे। वे कुछ साल पहले भाजपा में आ गए थे। सागर की राजनीति में वे मंत्री भूपेन्द्र सिंह के खास समर्थक माने जाते हैं। यहां जातिगत गणित चुनाव में बेहद मायने रखेगा। दोनों प्रत्याशियों को पूरा फोकस जातियों को साधने पर ही है।

सतना में बसपा बिगाड़ेगी खेल
सतना नगर निगम से सत्तासीन भाजपा के योगेश ताम्रकार, कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाहा और बसपा के सईद अहमद के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है। योगेश आरएसएस से भाजपा आए हैं। वे कई सामाजिक संगठनों से भी जुड़े हैं पर कांग्रेस ने अपने विधायक सिद्धार्थ कुशवाह को उतार कर उनकी राह कठिन कर दी है। बसपा किसका खेल खराब करेगी, यह चुनाव परिणाम आने पर पता चलेगा। इसी तरह आम आदमी पार्टी से बसंत कुमार विश्वकर्मा, समाजवादी पार्टी से बृजेश यादव भी महापौर के रण में शामिल हैं। यहां कुल 9 प्रत्याशी मैदान में हैं।

राजधानी में कड़ा मुकाबला
भोपाल नगर निगम में मेयर का चुनाव इस बार काफी दिलचस्प होने वाला है। यहां मैदान में 8 उम्मीदवार हैं। भाजपा ने पूर्व पार्षद मालती राय को भी टिकट दिया है। मालती पार्टी की बेहद पुरानी कार्यकर्ता हैं पर वे दो बार पार्षद का चुनाव हार चुकी हैं। संगठन उनके लिए पूरी ताकत से लगा है, यही बात उनके पक्ष में जाती है। वहीं कांग्रेस की विभा पटेल राजधानी का पुराना चेहरा हैं। वे एक बार निर्वाचित मेयर भी रह चुकी हैं। ऐसे में दोनों के बीच इस बार कड़ा मुकाबला हो  रहा है।