भोपाल। गर्मी अब कहर ढा रही है। आसमान आग उगल रहा है और पारा लगातार चढ़ रहा है। पूरे प्रदेश में करीब-करीब हर जगह पारा 40 डिग्री को पार कर गया है। अभी पूरा मई और जून बाकी है। गर्मी बढ़ते ही पानी का संकट भी विकराल होने लगा है। जलस्तर नीचे चला गया है। हैंडपंप सूख गए हैं। हालात से निपटने के लिए सीएम शिवराज ने अफसरों को सख्त निर्देश दिए हैं कि जनता को पानी मुहैया कराने के लिए बेहतर इंतजाम किए जाएं।
प्रदेश में 40 पार कर चुका मौसमी पारा अब लोगों को पानी के लिए तरस आ रहा है। तेज गर्मी के कारण प्रदेश के कई जलस्रोत सूख गए हैं। कई इलाकों से पानी की कमी की शिकायतें आ रही हैं। बूंद-बूंद पानी के लिए ग्रामीण कई-कई किमी तक का सफर कर रहे हैं। वहीं कई क्षेत्रों में लोग पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं।
दरअसल, गर्मी शुरू  होते ही प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में पानी का स्तर नीचे गिर रहा है। इस कारण नदी, तालाब तो सूख रहे हैं, वहीं कुआं, हैंडपंप और नलजल योजनाओं का जल स्तर कम हो गए हैं। इस कारण लोगों को परेशानी का समाना करना पड़ रहा है। खासकर पठार पर बसे ग्रामीणों को पानी के लिए दूर खेतों तक जाना पड़ रहा है। अधिकांश जगह नलकूप दम तोड़ रहे हैं तो कुओं में भी तलहटी में मामूली बना ही बचरहा है। कहीं ग्रामीणों को दो किमी दूर से पानी भरकर लाना पड़ रहा है तो कहीं जिला मुख्यालय तक में एक दिन छोड़कर पानी आपूर्ति हो पा रही है। वहीं पीएचई के प्रमुख अभियंता केके सोनगरिया का कहना है कि मैदानी अधिकारियों को पेयजल से जुड़ी शिकायतों को गंभीरता से लेने को कहा गया है। जहां हैंडपंप, नलजल योजनाएं सुधार योग्य हैं, उन्हें सुधरवाया जा रहा है। मैं खुद लगातार दौरे कर रहा हूं।
प्रदेश में जल संकट की एक बड़ी वजह बिजली कटौती भी है। आठ-आठ घंटे बिजली गुल रहने या कम वोल्टेज के कारण टंकियां नहीं भर पा रही हैं। इस कारण पानी की सप्लाई बाधित हो रही है और लोगों को कुओं की तलहटी में जाकर पानी निकालना पड़ रहा है। कई जगह पानी खरीदने की नौबत भी आ गई है। कुछ जिलों में निजी ट्यूबवेल अधिग्रहित किए जा रहे हैं। इतने पर भी प्रदेश में 23 हजार 507 हैंडपंप, 1149 नल-जल योजनाएं बंद हैं। 681 सिंगल फेस मोटर खराब हैं। मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद पीएचई ने इंजीनियरों की टीम मैदान में उतार दी है। मैदानी अधिकारियों से कहा गया है कि चाहे नए ट्यूबवेल खोदने पड़ें, हैंडपंप लगाने पड़ें, निजी नलकूपों का अधिग्रहण करना पड़े या पानी का परिवहन करना पड़े, जनता परेशान नहीं होनी चाहिए। अधिकारी दौरा करें और हर शिकायत की सुनें एवं निराकरण करें।