मिजोरम के आईजोल में रहने वाले जेरमी इस पदक को खास मानते हैं। उनके पिता लालनेथुलंगा राष्ट्रीय मुक्केबाजी में दो पदक जीत चुके हैं। बचपन में जेरेमी मुक्केबाजी ही करते थे लेकिन बाद में वेटलिफ्टिंग ने आकर्षित किया, जिसके चलते पिता ने जेरमी को स्थानीय वेटलिफ्टिंग सेंटर में डाल दिया। जेरमी शुरुआत में बांस और पाइप से वेटलिफ्टिंग की प्रैक्टिस करते थे।उन्नीस साल के जेरेमी का 2011 में आर्मी ब्वायज सेंटर पुणे में चयन हो गया और वह पुणे चले गए। यहां से उनकी जिंदगी बदल गई। 2016 में उन्होंने विश्व जूनियर चैंपियनशिप में रजत जीता। 2017 में उनके भाई की शादी हुई, लेकिन वह घर नहीं जा सके। उन्हें मां के हाथ का खाना बेहद पसंद है, लेकिन उन्होंने वेटलिफ्टिंग के लिए एनआईएस पटियाला में उत्तर भारत के खाने को अपना लिया। पिछले पांच वर्षों से उन्होंने परिवार के साथ क्रिसमस नहीं मनाया।