माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रथ सप्तमी मनाई जाती है. इसे अचला सप्तमी (Achala Saptami) या सूर्य जयंती (Surya Jayanti ) भी कहा जाता है. हिंदू धर्म में हर माह में आने वाली तिथियों का विशेष महत्व है.

हर तिथि किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सूर्यदेव ने समस्त जगत को आलोकित करना शुरू किया था इसलिए रथ सप्तमी को सूर्य जंयती के रूप में मनाया जाता है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रथ सप्तमी को अचला सप्तमी, सूर्यरथ सप्तमी, आरोग्य सप्तमी आदि नामों से भी जाना जाता है. इस बार 7 फरवरी के दिन सूर्य जयंती मनाई जाएगी. माना जाता है कि सूर्यदेव की पूजा से व्यक्ति को सुख, समृद्धि संतान की प्राप्ति होती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार करियर कारोबार में तरक्की के लिए सूर्य का मजबूत होना जरूरी है.

मान्यता है कि सूर्य मजबूत होने से करियर कारोबार में किसी तरह की समस्या नहीं आती. सरकारी नौकरी के लिए सूर्य मजबूत करने की सलाह दी जाती है. ज्योतिष अनुसार जीवन में सुख, शांति समृद्धि पाने के लिए नियमित रूप से सूर्य देव को जल का अर्ध्य दें. आइए जानें रथ सप्तमी की व्रत विधि के बारे में.

रथ आरोग्य सप्तमी व्रत विधि (Ratha Saptami Vrat Vidhi) :

रथ सप्तमी के दिन प्रातः काल उठकर सबसे पहले पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य देव को नमस्कार करें. इसके बाद स्नानादि से निवृत होकर हाथ में जल लेकर आमचन करें. इसके बाद लाल रंग के कपड़े पहनें जल में लाल रंग, तिल, दूर्वा, चंदन अक्षत मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. इसके बाद शुद्ध देसी घी का दीया जलाएं ऊं घृणि सूर्याय नम:, ऊं सूर्याय नम: मंत्र का करें. इसके बाद भगवान विष्णु की पीले पुष्प, पीले फल, मिष्ठान, धूप-दीप, दूर्वा, अक्षत आदि चीजों से विधिवत पूजा करें. आखिर में आरती अर्चना कर पूजा संपन्न करें. रथ सप्तमी के दिन दान का भी विशेष महत्व है.