रिवालसर झील  : मंडी शहर से करीब 23 किलोमीटर दूर है | 1360 मीटर ऊंचाई पर हिमालय की तलहटी में मौजूद इस झील का शेप चौकोर है | इस झील को लेकर कहा जाता है कि ये राख से बनी है | ये हिंदू, बौद्ध और सिख का साझा तीर्थस्थल भी है | झील के साथ ही चिड़ियाघर भी है, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है |

कमरूनाग झील  : मंडी से 68 किलोमीटर दूर है | ये झील देव कमरूनाग को समर्पित है | यहां लोग मन्नत मांगकर जाते हैं और मन्नत पूरी होने के बाद देव कमरूनाग के दर्शन करते हैं, फिर इसमें सोना, चांदी, सिक्के व नोट फेंकते हैं | इस झील का आनंद लेने के लिए आपको 6 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई करनी होती है |

कुंतभयो  झील  : रिवालसर से करीब 6 किलोमीटर दूर है | कहा जाता है कि एक बार माता कुंती की प्यास बुझाने के लिए अर्जुन ने तीर से जल की धारा निकाल दी थी | बाद में उस धारा ने झील का रूप ले लिया | इस झील पानी का रंग नीला-हरा सा नजर आता है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है | झील से लगभग एक किलोमीटर दूर सड़क के किनारे की छोटी पहाड़ी पर गुफाएं हैं, जो बौद्ध भिक्षुओं की साधना का पवित्र स्थल है |

पराशर झील : मंडी शहर से करीब 49 किलोमीटर की दूरी पर है | मान्यता है कि इसकी उत्पत्ति पराशर ऋषि ने की थी | उन्होंने जमीन पर अपना गुर्ज मारा, जमीन के अंदर गुर्ज पहुंचते ही पानी की धारा निकल पड़ी और इसने झील का रूप ले लिया | झील के साथ यहां पराशर ऋषि का मंदिर भी बना है | साथ ही आप यहां वादियों का आनंद भी ले सकते हैं |  

सुंदरनगर झील : का निर्माण कृत्रिम रूप से किया गया है, लेकिन ये इतनी खूबसूरत है कि आप यहां का नजारा देखकर ही मोहित हो जाएंगे | ये मंडी से 25 किलोमीटर की दूरी पर चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे-21 के साथ सुंदरनगर में स्थित है | इस झील से 990 मैगावाट बिजली का उत्पादन होता है |